यकीन दिला दिया था मैंने सबको कि खुश हुँ मैं... तेरी याद क्या आई...कि सारे राज खुल गये...।
हर वक़्त मिलती रहती है मुझे अनजानी सी सजा, मैं तक़दीर से कैसे पूंछू की मेरा कुसूर क्या है !!
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